थोड़ी बातें आपसे करना चाहती हूँ,
मैं शादी का असली मतलब
आपसे पूछना चाहती हूँ
जानती हूँ यूँ ही नहीं जोड़ोगे
किसी का नाम, मेरे नाम से
देख परख के ही जोड़ोगे मुझे
आम नहीं किसी खास से
किसी की दौलत देख
उसके साथ मत बांधना मुझे,
उसके पैसे के घमंड से
सर झुकाना न पड़े मुझे,
किसी का पैसा उसे अच्छा नहीं बनाता ,
किसी की असलियत को
कुछ पल में नहीं भापा जाता,
लोग झूठा दिखावा कर ही लेते हैं,
उस से उनका किरदार नहीं परखा जाता |
किसी बड़े खानदान में न देना मुझे ,
चुगलियां करने वाले खुश न रहने देंगे मुझे |
इंसान को पहचाने के लिए
कुछ दिन नहीं कुछ मुसीबते दो,
वो कितनी मुसीबतों को
हल कर पाया है ये जरूर देखो |
मुझे जेवर दे या न दे मगर
जो मेरी इज़्ज़त हर पल करे,
कोई ऐसा ढूँढना मेरे लिए
सबके सामने सभी इज़्ज़त कर लेते है,
जो बंद कमरे में भी
बिना मर्ज़ी के मुझे न छुए ,
कोई ऐसा ढूँढना मेरे लिए
अपनी झूठी शान में
मेरी इज़्ज़त करना न भूले ,
वो बोले तो मैं सुनु और
मैं बोलूँ तो वो सुने |
जो अपनी मर्दांनगी को सबित करने के लिए
मुझ पर नमर्द बन के हाथ न उठाये,
ग़लती अपनी होने पर चुपचाप
अपना सर झुका के मान जाये |
मेरे बालो को एक बार प्यार से छुए
या न छुए मगर उन्हे पकड़कर
घसीटने की कभी ना सोचे |
मेरे लेट होने या किसी से
बात करने पर बार बार वो न पुछे,
जो मुझसे जयदा दुनिया की
बातों पर यकीन न करे
मेरी पहले सुने फिर मेरे लिए
दुनिया को जवाब दिया करे
सबके सामने चिल्ला कर न बोले
सबके चले जाने पर कुड़ी बंद कर
अपने दोनो हाथो का वजन मुझे पर न तोले
मैं खाना न जो बना पाउ तो
उठ कर मेरी चुड़ियां न तोड़े
मेरी कही बातो पर मुझसे चिढ़कर
गुस्से में घर को न छोड़ो
अपने गुस्से में घर के और
समानो को वो न तोड़े,
जो मुझे रोता देख कर
चादर ओढ़ कर न सोए
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