Wednesday, May 5, 2021

दहेज़...

दहेज़

 दहेज लेने वालों की
रीढ़ (रीढ़ की हड्डी)में जान नहीं होती,
 दहेज लेकर शादी करने में 
कोई शान नहीं होती |

यह वह लोग हैं जो आधी उम्र 
अपने बाप के नाम से जाने जाते हैं ,
और एक पोस्ट या नौकरी पाकर
 ये इतना इतराते है |

लड़की के बाप की मेहनत को धुल समझते है ,
उसके दिए दहेज़ को ये अपनी 
पढ़ाई के खर्चे का मूल (मूलधन) समझते है,

अरे माँ के पलु से बंधे रहते है और 
ससुर के खर्चो पर आधी उम्र पालते है,
'तू लायी ही क्या है अपने घर से ?'
बात-बात पर ऐसे ताने कसते है,

घर से बहार निकल जाये 
तो सर झुक जाता है इनका ,
रात को पास न सो इनके तो 
मुँह उतर जाता है इनका |

पिता के इज़्ज़त और माँ के मोह के लिए
लड़की सब कुछ सह जाती है ,
इस नए घर में किसे बातये वो 
दुःख अपना, ये समझ नहीं पाती है |

'तुम नौकरी नहीं करोगी | ' 
ये ही इनका नारा होता है,
पत्नी इनसे आगे बढ़ने लगे तो 
ये इनको न गवारा होता है |

अरे घर में शेर और सड़को पर 
नमस्ते करते हुए चलते है ,
कोई बात बुरी लगने पर बस 
मायके भेजने की धमकी देते है |

दिन भर कोसते है,गाली देते है, 
और कई एहसान गिनाते है,
रात में पास बुलाने के लिए ही
जुबान से शहद टपकाते है |

अरे तुम थे क्या और कौन थे ये तो सबने देखा है ,
तुमसे अच्छे-अच्छे आज भी है उसके प्यार में मगर
उसके पापा ने उसे एक तुमसे निभाने को कह रखा है |

अरे तुम्हे एक लड़की तक नहीं पूछती 
पूछता तो बस कोई अंजान है ,
उन्हें क्या पता शरीफ़ दिखने वाले 
ये लोग अंदर से कितने बेईमान है |

तो क्या 'अरेंज मैरिज' है ये या सिर्फ एक सौदा है ,
एक बाप ने किसी की दौलत से धोखा खाकर
अपनी ही बेटी की खुशियों का गला घोंटा है |

अरे बड़े लोगो अब तो अपनी 
आँखों से दौलत का पर्दा हटाओ,
रिश्ता कुंडली मिलने से ज्यादा 
सोच के मिलने से चलता है ,
ये बात अब तो समझ जाओ |

By 
Roy

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