Saturday, December 22, 2018

झगड़ा (Part - 2)

झगड़ा Part - 2

वो रात भी सदियो सी लगने लगी,
आंसुओ की कडियो सी लगने लगी,
तुम भी रोयी  और मैं भी रोया,
एक झगड़े मे हमने कितना कुछ खोया |

मैने क्यूँ न संभाला तुम्हें ये सवाल आया,
मैंने भी तो कितना कुछ कह दिया तुम्हें
दिल मे मेरे ये मलाल आया |

साथ गुजारे पल जो हमने,
वो सभी पल याद आ रहे हैं,
न लड़ने का वादा हमारा,
आज वो सारे वादे याद आ रहे हैं,
यूँ एक दूसरे को हम समझा रहे हैं,
"अब कभी झगड़ा नहीं करेंगे"
यही बार बार दोहरा रहे हैं |

रात गहरी होती गयी,
ठंड से ठिठोली होती गयी,
फ़ोन की बैट्री भी अब ख़तम हो गई,
तुम्हारी मेरी बात होनी भी बंद हो गई |

आगे का इंतज़ार मुश्किल हो गया,
न तुम सोयी और न मैं सोया,
हम दोनों खुदा से दुआ करने लगे,
मिलने के लिए बड़े बेसब्र हो गए |

तुमने मांगा सुबह जल्द हो जाए,
मैंने कहा काश मेरा महबूब
रात मे ही मेरे पास लौट आए |

वक़्त गुजर गया और फिर सुबह हुई,
तुम बेचेनी से मेरी तरफ दौड़ी,
देख कर लोगो का घेरा तुम भी घबरा गयी,
लोगो की उस भीड़ मे तुम मुझे ढूंढने लगी |

मैं तो तुम्हारे सामने ही था
पर तुम देख न सकी,
फिर तुम्हारी नज़र
मेरी ठंड से ठिठुरी लाश पर गयी,
तुम रोयी, चीखी और खूब चिल्लाई
पर दोबारा मेरी आँख न खुली |

मैं वही खड़ा ये सब देखता रहा,
ये पहली बार था जब तुम्हें,
रोता देख मैं कुछ न कर सका |

इंतजार मे तुम्हारे ये एहसास ही न हुआ,
रूह ने मेरे लिबज़ - ए - जिस्‍म को
कब छोड़ दिया,
मैने देर कर दी तुझे मनाने मे,
थोड़ी देर हो गई तुझे भी तो आने मे |

मैं देर तक तुम्हें देखता रहा,
तुम खुद को कहने लगी,
"मैंने झगड़ा ही क्यूँ किया",
मेरी यादो के साथ
तुमने जीने का फैसला किया
और तुम्हारी यादो के साथ मैं ,
किसी और दुनिया मे आ गया |

बस इतना ही समझें हम,
छोटे मोटे झगड़े हर रिश्ते मे होते हैं पर,
प्यार के रिश्ते मे कोई झगड़ा बड़ा नहीं होता,
जहा प्यार होता है वहा झगड़ा नहीं होता,
और जहा झगड़ा होता है वहा प्यार नहीं होता |

झगड़ा हो कोई तो सुलझा लो,
रूठा हो सनम जो तो माना लो,
किसी को मनाने का इंतज़ार न करो,
सनम के बिन जीने वाला तुम प्यार न करो,
सनम के बिन जीने वाला तुम प्यार न करो |

Written by Roy

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