कौन अपना
है कौन अपना ये पूछता हूँ,
अपना किसे कहु ये सोचता हूँ |
बचपन के दोस्त जवानी में छोड़ जाते है,
जवानी के दोस्त, दोस्ती निभा नहीं पाते है,
हर दिन एक नया दोस्त बनाते है,
अगले ही दिन उस दोस्त को ही भूल जाते हैं |
कुछ दोस्त तो नाम भी याद नहीं रख पाते हैं,
सिर्फ काम होने पर ही फ़ोन लगाते हैं,
एक शहर में रहकर भी मिल नहीं पाते हैं,
सब अकेले है पर काम का बहाना बनाते है |
यूँ ज़िन्दगी को एक खेल कहते हैं,
अपने दोस्तों की तरक्की देख जलते हैं,
यूँ तो एक दूसरे को हम दोस्त कहते हैं,
पर मिलने से पहले सौ बार सोचते हैं |
जिसे प्यार करो वो दिल तोड़ जाते हैं,
जिसे इज़्ज़त दो वो बेज़त करता हैं,
जिसे याद करो वो उतनी जल्दी भुलाता है,
जिसकी बात मानो वो रौब जमाता है |
लोग चहरे पर झूट का नकाब लगते है,
आपकी कामयाबी को अपना बताते हैं,
उठा फायदा आपका, आपसे ही नज़रे चुराते हैं,
साथ रहने का वादा करने वाले धोखा दे जाते हैं |
बहन अब गलतियाँ नहीं छुपाती है,
भाई से कोई नयी सीख नहीं आती है,
पापा की डांट अब कानो पर नही आती हैं,
माँ की रोज़ बहुत याद आती है |
वो बहन का प्यार अब रहा नही,
भाई का कंधे पर हाथ रहा नही,
माँ बाप भी अब साथ नहीं,
दोस्तो पर अब मेरा विश्वास नहीं |
सब साथ मे शुरू कर अधूरा छोड़ जाते है,
रुला कर किसी को सौ बार खुशी पाते हैं,
ये देखकर मुझे बहुत रोना आता है,
अपने दिल की किसे कहू ये सवाल आता है,
यूँ कमरे मे अपने इन्ही ख्यालो से लड़ता हूँ,
अपने सारे ज़स्बात सिर्फ खुद से ही कहता हूँ |
ज़िन्दगी एक दोगले दोस्त सी लगती हैं,
मौत एक हसीन माशूक सी लगती है,
मौत तो सबको एक बार ही रुलाती है,
ज़िन्दगी तो हर दिन मजाक बनाती हैं |
कोई भी नही अपना ये सोचता हूँ,
खुद से खुद का ख़याल रखता हूँ,
कोई मिले जाए तो प्यार बटता हूँ,
सबको अपना सलाम कहता हूँ |
Heart Says
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